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देव भूमि उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल। Best place to visit in Uttarakhand India in Hindi | 2024

देव भूमि उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थल। Best place to visit in Uttarakhand India in Hindi | 2024

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Uttarakhand एक खूबसूरत State हैं, Uttarakhand ki sthapana, एक बड़े आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश के 13 हिमालयी district को अलग करके 9 नवंबर सन 2000 को की गयी थी, और भारत 27वां  राज्य बना। सन 2000 में  जब Uttarakhand ki sthapana हुई, तब इसका नाम Uttaranchal था, जिसे 1 जनवरी 2007 को स्थानीय लोगो की भावना को ध्यान में रखकर इसे बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया । उत्तराखंड natural resources से भरपूर है, जो अपने आप में Tourism की असीम संभावनाएं समेटे हुए हैं।

उत्तराखंड भौगोलिक आकार

Uttarakhand का आकार लगभग आयताकार है, पूरब से पश्चिम तक राज्य की लंबाई 358 किलोमीटर एवं उत्तर से दक्षिण की और चौड़ाई लगभग 320 किलोमीटर है। पूरे प्रदेश में ऊंचे-2 पहाड़, ग्लेशियर, नदियां, बुग्याल एवं मंदिर उत्तराखंड की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं। इन सभी सुंदरता के लिए से Uttarakhand में tourism स्थल गुलजार हो रहे हैं।

राज्य का ग्लोब पर विस्तार 28.43′ से 31.2 7 उत्तरी अक्षांश तथा 77.34’से 81.02′ पूर्वी देशांतर के मध्य है। इसका अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार क्रमशः 2.44 एवं 3.28 है, Uttarakhand का क्षेत्रफल 5 3,483 वर्ग किलोमीटर है। क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जिला चमोली व सबसे छोटा जिला चंपावत है।

उत्तराखंड का 86% भूभाग पहाड़ी क्षेत्र हैं, एवं 14% भूभाग मैदानी है। पहाड़ी प्रदेश होने के कारण Uttarakhand में tourism की अपार संभावनाएं है। राज्य में हिमालयी क्षेत्र में बहुत से ऊंचे -ऊंचे पर्वत है । जिससे अधिकतर चमोली जनपद में स्थित है ।

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उत्तराखंड का इतिहास (Uttarakhand History) 

Uttarakhand का इतिहास बहुत ही गौरवपूर्ण है। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों नदियों से भरपूर यह क्षेत्र पौराणिक समय से ही ऋषि-मुनियों, तीर्थयात्रियों, राजा महाराजाओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। राज्य के अनेक स्थानों से मिली जानकारी के अनुसार यहां पर पुराने धातु उपकरण, पुरानी गुफाएं और शैल चित्रों आदि से ज्ञात होता है कि यहां पर मनुष्य कहीं सदियों से निवास करते आ रहे हैं। प्राचीन समय में प्रागैतिहासिक काल में मानव यहां प्राय गुफाओं और जंगलों में निवास करते थे, वे (आदिमानव) गुफाओं की दीवारों को सजाने का काम भी बहुत ही रोचक ढंग से करते थे।

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Uttarakhand का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद से प्राप्त होता है, ऋग्वेद में Uttarakhand को Devbhumi नाम से संबोधित किया गया है। Uttarakhand मैं Tourism की अपार संभावनाएं हैं, कुछ क्षेत्र Tourism में नित्य विकसित होते जा रहे हैं । स्कंद पुराण के अनुसार हिमालय का पूरा भाग 5 भागों में बटा हुआ था। जो कि निम्न प्रकार से हैं ।

नेपालमानसखंडकेदारखंड
जालंधरकश्मीर 

इनमें से दूसरा व तीसरा भाग क्रमशः मानसखंड व केदारखण्ड Uttarakhand में स्थित हैं। गढ़वाल क्षेत्र को केदारखंड एवं कुमाऊं क्षेत्र को मानसखंड का नाम दिया गया है। आज के समय में गढ़वाल एवं कुमाऊं में Tourism खूब फल फूल रहा है। गढ़वाल क्षेत्र को पौराणिक समय में स्वर्ग भूमि, तपोभूमि इत्यादि कई नामों से जाना जाता था ।लेकिन 1515 के आसपास गढ़वाल में 52 पहाड़ी किलों (गढ़ो) को विभाजित करने के बाद इसे गढ़वाल कहा जाने लगा।

गढ़वाल में 4 dham में से Badrinath Dham के आसपास अनेक गुफाएं एवं शिलाएं स्थित है, जिसमें व्यास गुफा, गणेश गुफा, मुचकुंद गुफा आदि प्रमुख है, इन्हीं गुफाओं में वेदों की रचना हुई थी, इन्हीं वेदों में सरस्वती नदी का वर्णन किया गया है।

उत्तराखंड का इतिहास का सम्बन्ध पौराणिक काल से है, महाभारत के वन पर्व में Haridwar से लेकर kedarnath तक की यात्रा में जो भी मुख्य पड़ाव एवं स्थान है, उन सभी का वर्णन इसमें किया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार Dehradun के जौनसार बावर के विराटखाई नामक जगह पर राजा विराट की राजधानी थी, इनकी पुत्री के साथ अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का विवाह संपन्न हुआ था। पुराने समय में उत्तराखंड में शिक्षा की अनेक बड़े -बड़े केंद्र स्थापित थे।

जिनमें कण्व आश्रम अत्यधिक प्रसिद्ध विद्यापीठ था। कण्व आश्रम भाभर क्षेत्र में स्थित है । गढ़वाल के द्वार कोटद्वार से इस आश्रम की दूरी 15 किलोमीटर के आसपास है, यह क्षेत्र घने जंगलों के बीच मालिनी नदी के तट पर स्थित हैं।इसी आश्रम में चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म हुआ था, जिनके नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा । कहा जाता है कि महाकवि कालिदास ने अपने अनेक प्रसिद्ध ग्रंथों की रचना इसी जगह पर की थी जिसमें अभिज्ञान शाकुंतलम् प्रसिद्ध है।

उत्तराखंड के जिले (Uttarakhand District)

Uttarakhand में कुल 13 जनपद है, सभी 13 जिलों का क्रम इस प्रकार है। यह सभी के सभी जिले Toursim के लिहाज से अति महत्वपूर्ण है, इनमें देहरादून को उत्तराखंड की उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी बनाया गया है। अभी हाल ही में कुछ माह पूर्व गैरसैंण को उत्तराखंड सरकार ने शीतकालीन राजधानी घोषित किया है देहरादून में बहुत सारे स्थान टूरिस्ट पैलेस है। जहां पर साल भर में लाखों पर्यटक घूमने आते हैं। गुचुपानी, मसूरी, सहस्त्रधारा ,कालसी, चकराता, कोटी Kanasar, माॅहिला टॉप, टाइगर Fall विशेष रूप से प्रसिद्ध है। क्रमवार निम्न है –

देहरादूनहरिद्वार
पौड़ी गढ़वालरुद्रप्रयाग
टिहरी गढ़वाल चमोली गढ़वाल 
अल्मोड़ानैनीताल
उधम सिंह नगरचंपावत
बागेश्वरपिथौरागढ़
उत्तरकाशी  

उत्तराखंड राज्य के आधिकारिक प्रतिक चिन्ह (Official Symbol of Uttarakhand State)

राज्य चिन्ह

उत्तराखंड सरकार की शासकीय कार्य के लिए यह राज्य चिन्ह स्वीकृत है है इसमें पूरे उत्तराखंड की झलक मिलती है । जिनमें तीन पर्वत चोटियां की श्रृंखला और उसके नीचे गंगा की चार लहरों को दर्शाया गया है, और मध्य में अशोक की लाट है, जिस पर सत्यमेव जयते लिखा है।

राज्य पुष्प

उत्तराखंड का राज्य पुष्प मध्य हिमालय क्षेत्र में लगभग 6000 मीटर की ऊंचाई तक यह पुष्प पाया जाता है। इस पुष्प का नाम ब्रह्म कमल है, उत्तराखंड सरकार ने ब्रह्मकमल को राज्य पुष्प घोषित किया है। यह पुष्प विशेष रूप विशेष रूप से फूलों की घाटी (Valley of flowers) एवं केदार घाटी में बहुतायात से मिल जाते हैं, Uttarakhand में यह पुष्प आपको केदारनाथ में प्रसाद स्वरूप मिलता है यह पुष्प रूप से भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। इस पुष्प को गढ़वाली भाषा में कौल पदम भी कहा जाता है ।इसके पुष्प बैंगनी रंग के होते हैं। जो देखने पर बडे ही आकर्षक लगते है।

राज्य पक्षी

मोनाल को उत्तराखंड सरकार ने राज्य पक्षी घोषित किया है। इस पक्षी को हिमालय के मोर के नाम से भी जाना जाता है । यह पक्षी देखने में अत्यंत सुंदर होते हैं, जब आप Uttarakhand में tourism के लिए आए तो ऊंचे हिमालय क्षेत्रों में आपको यह पक्षी देखने के लिए मिल सकता है ।

मोनाल सुंदर पक्षी होने के कारण इसका मांस एवं खाल के लिए शिकार होता है जिससे दिनोंदिन उत्तराखंड में मोनाल की संख्या कम होती जा रही है ।मोनाल Uttarakhand के साथ हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी एवं नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी भी है। मोनाल आलू की फसल को अत्यधिक प्रिय मानता है एवं उसको बहुत नुकसान पहुंचाता है

राज्य वृक्ष

बुरांश को उत्तराखंड सरकार ने राज्य वृक्ष घोषित किया है, बुरांश एक पर्वतीय वृक्ष है। जिसमें लाल रंग के पुष्प अत्यधिक मात्रा में खिलते हैं। बुरांश के पुष्पों से बना जूस हृदय रोग के रोगियोंके लिए बहुत लाभकारी माना जाता है ।जब कभी आप उत्तराखंड में फरवरी से अप्रैल के महीने में tourism के लिए आए तो यह फूल आपको मिल सकता है

राज्य पशु

कस्तूरी मृग को उत्तराखंड सरकार ने राज्य पशु घोषित किया है ।कस्तूरी मृग 4400 मीटर तक की ऊंचाई वाली चोटियों में पाए जाते हैं। जिसमें यह विशेष रुप से फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब एवं केदारनाथ के जंगलों में जंगलों में पाए जाते हैं ।

यह मृग भूरे रंग का होता है, इनके नाभि में कस्तूरी (नाभि में पाया जाने वाला तरल पदार्थ) पाया जाता है, जो केवल नर मृग में पाया जाता है। कस्तूरी की सुगन्ध बहुत तेज होती है, जिसका उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। यही कारण है कि कस्तूरी की मांग बहुत ज्यादा है, और इसके मूल्य हमेशा बहुत ज्यादा रहता है। कस्तूरी के लिए ही इस मृग का अवैध शिकार होता है।

Uttarakhand में Govt. द्वारा कई जगहों पर कस्तूरी मृग प्रजनन केंद्र खोले हैं, जिससे भविष्य में कस्तूरी मृग की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिले। कस्तूरी मृग एक सुंदर पशु है, जो अपनी सुंदरता के लिए भी विश्व भर में विख्यात है, Uttarakhand में जब भी आप tourism के लिए पधारें, तो कस्तूरी मृग का अवलोकन जरूर करें।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल  (Famous tourist places of Uttarakhand)

नंदा देवी

इसकी ऊंचाई 7817 मीटर है, यह Uttarakhand राज्य का सबसे उच्चतम पर्वत शिखर है ।

कामेट

7756 मीटर का दूसरा सर्वोत्तम ऊंचा पर्वत शिखर है यह भी चमोली जनपद में स्थित है।

माणा

माणा की ऊंचाई 7272 मीटर है, यह भी राज्य का उच्चतम पर्वत शिखर है, और जनपद चमोली में स्थित है ।

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ की ऊंचाई 7140 मीटर है, यह भी राज्य के उच्चतम स्थानों में से एक है, राज्य के अधिकांश पर्वत शिखर जनपद चमोली में स्थित है।

गोमुख

गोमुख जनपद उत्तरकाशी का एक दर्शनीय स्थल दर्शनीय स्थल है यह स्थान मां गंगा के उदगम स्थल के रूप में भी जाना जाता है ।गोमुख से ही गंगा की धारा निकलती हैं। गंगा को देवप्रयाग में गंगा के नाम से जाना जाता है गोमुख से भागीरथी नदी का उद्गम होता है अलकनंदा के साथ मिलने पर यह गंगा कहलाती है

हर की पैड़ी (ब्रह्मकुंड)

हरिद्वार में हर की पैड़ी का अत्यधिक धार्मिक महत्व है, यहां पर लाखों श्रद्धालु प्रति वर्ष आते है, और गंगा में स्नान करते हैं, वर्तमान में यहां पर 2021 में कुंभ मेला आयोजित हो रहा है, जो प्रति 12 वर्षों के अंतराल में लगता है।

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हरसिल

अपने शांत पर्यावरण के लिए हरसिल विश्व प्रसिद्ध है, यह वही जगह है जहां पर राम तेरी गंगा मैली फिल्म की शूटिंग भी हुई थी।

पंच प्रयाग

यह सभी प्रयाग गढ़वाल मंडल में अलकनंदा के तट के समीप स्थित है। कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, नंदप्रयाग, देवप्रयागन, और  विष्णुप्रयाग सभी दो नदियों के संगम बनाते है।

पंच केदार

पंच केदार भी टूरिज्म के लिए एवं धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित मंदिर है, जिसमें यात्रा सीजन में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए इस मंदिर में आते हैं। जिनके नाम निम्न है- केदारनाथ, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पेश्वर।

टिहरी बांध

एशिया के सबसे ऊँचे बांधों में से एक जिसकी ऊंचाई 260.5 मीटर है। जिस पर 40 वर्ग किलोमीटर की कृत्रिम झील का निर्माण हुआ है, जिसमें अनेक साहसीक खेल आयोजित किए जाते हैं।

धनोल्टी

धनोल्टी मसूरी-चंबा मार्ग पर देवदार के घने जंगलो  के मध्य स्थित है, यहां का वातावरण शांत व स्वच्छ है जो पर्यटन के लिय एक आदर्श स्थल है।

केंपटी जलप्रपात

यह जल प्रपात मसूरी से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यह जलप्रपात चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ एक रमणीक रमणीक स्थान है।

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लैंसडाउन

इस नगर को सैन्य नगर के नाम से जाना जाता है। भारतीय सेना की विख्यात गढ़वाल रायफल्स का कमांड यहीं पर स्थित है, यह नगर में उत्तराखंड में tourism के लिहाज से अति महत्वपूर्ण है, यहां पर टिफिन टॉप एवं अन्य बहुत से पर्यटक स्थल है।

मुंस्यारी

मुंस्यारी पिथौरागढ़ जनपद में स्थित है, यह जगह पर्यटकों को विशेष आकर्षित करती है। यहां पर ऊनी वस्तुएं, शाल, कालीन, पशमीना दुशाले इत्यादि मिलते हैं।

उत्तराखंड में कैसे पहुंचे (How to Reach in Uttarakhand)

हवाई मार्ग द्वारा

हवाई मार्ग द्वारा आप इंदिरा गाँधी इंटनेरनशन एयरपोर्ट, दिल्ली से सीधे देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंच सकते हैं, भविष्य में इसी प्रकार की सेवा पंतनगर एयरपोर्ट (उधम सिंह नगर) के लिए भी शुरू हो जाएगी। जिससे आप कुछ ही घंटों में देश की राजधानी नई दिल्ली से उत्तराखंड में प्रवेश कर सकते हैं। दिल्ली से देहरादून का औसतन  किराया ₹2000 से ₹5000 तक  हो सकता है।

रेल मार्ग द्वारा

रेल मार्ग द्वारा भी आप उत्तराखंड आसानी से से पहुँच सकते हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून, देश के मुख्य शहरों से अच्छी तरह जुडी हुई है। देहरादून के अलावा हरिद्वार, ऋषिकेश, काठगोदाम उत्तराखडं के प्रमुख रेलवे स्टेशन है जहा से देश के प्रमुख शहरों के लिए प्रतिदिन रेलगाड़ियां संचालित होती होती है।

वहां से टैक्सी व बसों के माध्यम से आप अपने गंतव्य को पहुंच सकते हैं । यदि आप कुमाऊँ में घूमने (tourism) का प्लान कर रहे है तो आपको रामनगर और काठगोदाम स्टेशनों से कुमाऊं के अलग-अलग स्थानों में पहुंच सकते हैं। और गढ़वाल के लिए देहरादून हरिद्वार व कोटद्वार तक ट्रैन से आ सकते है। लगभग सभी रेलवे स्टेशन के बाहर टेक्सी सेवा उपलब्ध है।

सड़क मार्ग द्वारा

उत्तराखंड परिवहन निगम व अन्य राज्यों की बसे नियमित रूप से संचालित है। उत्तराखंड सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए देश के प्रमुख शहरों जैसे- दिल्ली, जयपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, अम्बाला, आगरा, नॉएडा, चंडीगढ़ और शिमला आदि से साधारण व AC बसे दैनिक आधार पर संचालित होती है। उत्तराखंड के प्रमुख बस अड्डे निम्न है।

  • देहरादून
  • हरिद्वार
  • हल्द्वानी
  • रुड़की
  • रामनगर
  • कोटद्वार

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