रुद्रप्रयाग उत्तराखंड | 10 Best Places to visit in Rudraprayag Uttarakhand 2024
Best Places to visit in Rudraprayag Uttarakhand | रुद्रप्रयाग का इतिहास | रुद्रप्रयाग में कितने ब्लॉक है | रुद्रप्रयाग के पर्यटन स्थल |
Rudraprayag Uttarakhand का एक पहाड़ी जिला है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा था। प्रयाग यानि दो नदियों का संगम या मिलन। रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी नदी अलकनंदा नदी में आकर मिलती है। अलकनंदा नदी आगे जाकर भागीरथी नदी से मिलकर गंगा बन जाती है।
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड में केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव है। यह पंचप्रयागो में से एक है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में रुद्रप्रयाग का नाम रुद्रावत था। एक मान्यता के यह भी है कि भगवान शिव के अनेक नामों में एक नाम रुद्र होने के कारण इस जनपद का नाम रुद्रप्रयाग पड़ा।
यह जिला पूर्ण रूप से पर्वतीय है, यहां पर समतल भूमि न के बराबर है। इस नगर को अलकनंदा एवं मंदाकिनी की संकरी घाटियों की ढलान पर छोटी-छोटी बस्तियों के रूप में बसाया गया है। 18 सितंबर 1997 को तीन जिलों के कुछ भागों को काटकर इस जनपद को स्थापित किया गया है, यह तीन जनपद जनपद टिहरी ,चमोली और पौड़ी गढ़वाल थे। उत्तराखंड को पौराणिक समय से ही देवभूमि भी कहा जाता है।
यहां पर मंदिरों की संख्या अधिक है, अकेले रुद्रप्रयाग जनपद में 200 से अधिक शिव मंदिर है। Rudraprayag Uttarakhand बदरीनाथ हाईवे पर श्रीनगर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रप्रयाग को 2006 में नगर पालिका का दर्जा दिया गया है। पहाड़ी जनपद होने के कारण यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय पर्यटन है। पर्यटन से ही यह लोग अधिकतर अपने जीविकोपार्जन करते हैं।
रुद्रप्रयाग पूरे उत्तराखंड में सबसे खूबसूरत जनपदों में से एक है। यहां पर चीड़ के पेड़ों की अधिकता है। जो जनपद की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। पर्यटन के लियाज से रुद्रप्रयाग जनपद बेहद खास है। क्योंकि यह छोटा होने के साथ-साथ यहां बहुत सारे मशहूर पर्यटक स्थल है। जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
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[wptb id=1305]रुद्रप्रयाग के प्रमुख दर्शनीय स्थल
पंचकेदार
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल में जब कुरुक्षेत्र का युद्ध में पांडवों की विजय और कोरवों की हुई थी। लेकिन पांडव अपने सगे संबंधियों को मारने के कारण बहुत दुखी थे। जिसके कारण भी पांडव शिव भगवान से मिलना चाहते थे। लेकिन भगवान शिव पांडवों से नहीं मिलना चाहते थे।और पांडवों से निरंतर दुरी बनाते रहे। कहा जाता है कि उन्होंने स्वयं को केदारनाथ में बैल के रूप में परिवर्तन कर लिया।
लेकिन पांडवो फिर भी उनसे मिलने की कोशिश करते रहे। मान्यता है कि उन्होंने कूबड़ वाला पिछला भाग छोड़कर शेष भाग को लेकर धरती में समा गए। यह धरती में धसे हुए चारों भाग विभिन्न जगहों से प्राप्त हो गए। इनमें कल्पेश्वर में केश तुंगनाथ में भुजाएं, रुद्रनाथ में मुख, मद्महेश्वर में नाभि की पूजा उनके प्राप्त होने वाले स्थलों पर पर की जाती है।
इन्हीं पांचों स्थानों को जहां पर शिव के शरीर के के शरीर के विभिन्न हिस्सों की पूजा होती है। इसे पंच केदार कहा जाता है। पंच केदार के नाम निम्न है – केदारनाथ, मद्महेश्वर, रूद्रनाथ, तुंगनाथ एवं कालेश्वर।
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केदारनाथ (Kedarnath Temple in Hindi)
यह मंदिर रुद्रप्रयाग जनपद में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। यह हिंदू धर्म की आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा होती हैं। केदारनाथ के आसपास अद्भुत प्राकृतिक दृश्य बड़े आकर्षक हैं। यहां पहुंचने पर मनुष्य अलौकिक शांति का अनुभव करता है। यह स्थल समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ मंदिर के महत्व के कारण प्राचीन समय में गढ़वाल का नाम केदारखंड पड़ा था।
केदारनाथ मंदिर कत्यूरी शैली से बना है। इसके निर्माण में भूरे रंग के विशाल पत्थरों का प्रयोग हुआ है। मंदिर या टेंपल के बाएं भाग में पुरंदर पर्वत है। साथ ही खर्चा खंड भरतखंड इसके आसपास अन्य पर्वत भी है। जो इस घाटी की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। इस मंदिर के गर्भगृह में ग्रेनाइट की त्रिकोण आकृति की बहुत बड़ी शीला है। जिसकी पूजा अक्सर भक्तगण करते हैं। केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मैं प्रमुख स्थान रखता है।
मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ी शीला है। उसके लिए कहा जाता है कि वह एक दिव्य शीला है। जून 2013 में जब केदारनाथ में भीषण आपदा आई थी। तब उस दिव्य शीला ने पूरे मंदिर परिसर की रक्षा की और मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित रहा। यहां पर पांडवों ने महाभारत काल में उपासना की थी।
केदारनाथ के समीप अनेक कुंड है। जिनमे से शिव कुंड मुख्य है। यहां पर एक कुंड और भी है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। इस कुंड का जल लाल दिखाई देता है। इसी कारण इस कुंड का नाम रुधिर कुंड पड़ा। मंदिर के समीप ही आदि शंकराचार्य की समाधि भी स्थित है।
वर्तमान में यदि आप केदारनाथ बाबा के दर्शन करना चाहते है, तो इसके लिए आपको पहले अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए आपको उत्तराखंड चारधाम यात्रा ई-पास रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन के बाद आप बाबा केदार के दर्शन कर सकते है।
मदमहेश्वर नाथ (Madmaheshwar Temple Uttarakhand in Hindi)
उत्तराखंड के पांचों केदार या पंच केदार में मद्महेश्वर को द्वितीय केदार का दर्जा प्राप्त है। यह मंदिर चौखंबा शिखर पर समुद्र तल से 3298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर निर्माण की जो छत्र शैली केदारनाथ में है। उसी शैली से ही यह मंदिर भी निर्मित है। इसमें भी बड़े-बड़े पत्थरों को तराश कर लगाया गया है। यह मंदिर गुप्तकाशी से 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव की नाभि की पूजा होती है।
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तुंगनाथ (Tungnath Uttarakhand in Hindi)
तुंगनाथ उत्तराखंड में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित देवताओं का मंदिर है। यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। तुंग नाथ मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य की 2.5 फुट की लंबी मूर्ति स्थित हैं। जो मंदिर के आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर ऊखीमठ गोपेश्वर मार्ग पर चंद्रशिला पर्वत के शिखर पर स्तिथ है। इस मंदिर में 6 द्वार है। यहां पर शिव भगवान के बाहों की पूजा होती है।
पंच केदार में इसे तृतीय केदार के रूप में जाना जाता है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर रावण शीला स्थित है। तुंगनाथ के लिए भी 8 किलोमीटर का पैदल ट्रैक चढ़ना पड़ता है। इसके आसपास सुंदर-सुंदर बुग्याल एवं अनेक प्रकार की जीव जैसे कस्तूरी मृग इत्यादि भी पाए जाते पाए जाते हैं, साथ ही राज्य वृक्ष बुरांश भी यहां अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यहां का बुरांश चटक लाल नहीं होता है, बल्कि हल्के लाल रंग का होता है।
त्रिजुगी नारायण
त्रिजुगी नारायण प्रकृति का वरदान है। केदारनाथ यात्रा के लिए यह स्थान मुख्य पड़ाव है। इसके आसपास का दृश्य बहुत ही मनमोहक एवं आकर्षक है। यहां पर सर्दियों में खूब बर्फबारी( स्नोफॉल) होती है। यह स्थल कालीमठ से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु की उपस्थिति में त्रिजुगी नारायण में शिव पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।
कालीमठ सिद्धपीठ
तांत्रिक विद्या में कालीमठ सिद्ध पीठ अत्यधिक प्रसिद्ध है। यह मठ रुद्रप्रयाग गुप्तकाशी सड़क मार्ग पर गुप्तकाशी से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।यहां के महाकाली मंदिर में किसी भी प्रकार की मूर्ति नहीं है। केवल मंदिर के अंदर चांदी की परत चढ़ी हुई एक बेदी है। इसी बेदी की की पूजा इस मंदिर में होती है, पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर महाशक्ति, महासरस्वती, महालक्ष्मी, यानी त्रिशक्ति विराजमान है।
ऐसा माना जाता है कि संस्कृत की प्रख्यात विद्वान कालिदास का जन्म यहीं पर हुआ था। कालीमठ के आसपास की जगह टूरिज्म के लिए गर्मियों के मौसम में बेहद खास मानी जाती है। नवरात्र के अवसर पर यहां पर भक्तगण देश विदेश से दर्शन करने के लिए आते हैं। यदि आप केदारनाथ की यात्रा पर उत्तराखंड में आते हैं, तो कालीमठ सिद्ध पीठ जरूर भ्रमण करें।
उखीमठ (Ukhimath Uttarakhand)
उखीमठ रुद्रप्रयाग जनपद के बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। यह शहर मंदाकिनी नदी के बाएं तट बसा हुआ है। यहां दक्षिण भारत के पुजारी जिनको रावल भी कहा जाता है, ये लोग यहां की पूजा करते हैं, और यहीं पर निवास करते हैं । केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय भी यहीं पर है। सर्दी के मौसम में उखीमठ में ही केदारनाथ भगवान की पूजा होती है। यहां पर ओंकारेश्वर शिव मंदिर है। जिसकी प्रतिष्ठा शंकराचार्य जी ने करवाई थी।
यह स्थल समुद्र तल से लगभग 1312 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। केदारनाथ से इसकी दूरी 40 किलोमीटर है। उखीमठ में आसपास के सभी चोटियों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जिसमें चौखंबा पर्वत और अन्य सुंदर घाटी का दृश्य भी यहां से दिखाई देता है। हरिद्वार ऋषिकेश और देहरादून से यह स्थान सीधी बस सेवा से उखीमठ जुड़ा हुआ है।
सोनप्रयाग (Sonprayag Uttarakhand in Hindi)
यह स्थान केदारनाथ यात्रा का मुख्य पड़ाव है। यहां पर बसुकी एवं मंदाकिनी नदियों का संगम होता है। समुद्र तल से सोनप्रयाग की ऊंचाई लगभग 1829 मीटर के आसपास है। सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी 19 किलोमीटर है। यह स्थान बहुत ही खूबसूरत है यहां आस-पास का वातावरण अत्यंत मनमोहक एवं आकर्षक है।
गौरीकुण्ड (Gaurikund Uttarakhand in Hindi)
यह स्थल केदारनाथ यात्रा का अंतिम बस स्टेशन है। इसके बाद पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर की दूरी पर गौरीकुंड है। यह स्थान बेहद खूबसूरत एवं आकर्षक है। यात्रा सीजन में यहां पर बहुत भीड़ देखने को मिलती है। यह समुद्र तल से 1982 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। गौरीकुंड में गर्म जल का कुंड है। जिसमें स्नान करने के बाद पास ही गौरा देवी मंदिर के दर्शन करने के पश्चात श्रद्धालु आगे की यात्रा शुरू करते हैं।
अगस्तमुनि
रुद्रप्रयाग से 18 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी और झूल गाड़ संगम पर स्थित इस स्थल पर अगस्त ऋषि ने वर्षों तक तप किया था। यहां एक मंदिर अगस्तेश्वर महादेव के नाम से भी है। जहां भक्तगण दर्शन करते हैं अगस्त मुनि बेहद ही खूबसूरत टूरिज्म स्थल है।
यह स्थान भी केदारनाथ यात्रा का एक मुख्य पड़ाव है। यात्रा सीजन में यहां बाजार की रौनक काफी बढ़ जाती है। यहां पर यात्रियों को रुकने की उचित व्यवस्था है। बरसात के मौसम में यहां चारों और हरियाली होती है। जिससे आसपास के जंगल एवं बुग्याल बहुत ही सुंदर दिखते हैं।
गुप्तकाशी
जो महत्व पौराणिक समय से काशी का है, वही महत्व गढ़वाल में गुप्तकाशी का है। यह स्थान रुद्रप्रयाग से 43 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां भी यात्रा सीजन में पर्यटकों का अंबार लगा रहता है। यहां पर भी यात्रियों के रुकने /ठहरने की उचित व्यवस्था है।
यहां पर मुख्य रूप से विश्वनाथ मंदिर, अर्धनारीश्वर मंदिर एवं मणिकानिर्क कुंड भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस कुंड में गंगा और यमुना नदियां परस्पर मिलती है। यह स्थान भी केदारनाथ यात्रा का एक पड़ाव है। घोड़े, खच्चर, डांडी, कांडी वाले अक्सर आपको यहां मिल जाएंगे।
कोटेश्वर महादेव (Koteshwar Mahadev Temple in Hindi)
अलकनंदा के तट पर रुद्रप्रयाग के समीप एक गुफा है। जिसका नाम कोटेश्वर गुफा है। इस गुफा के अंदर एक स्पटिक शिवलिंग है। जो इस गुफा का आकर्षण का केंद्र है। बहुत सारे यात्री जब केदारनाथ की यात्रा पर जाते हैं, तो यह स्थान भी उनमें शामिल है, जिनके दर्शन के पश्चात ही श्रद्धालु आगे की यात्रा आरंभ करते हैं, इस गुफा में अक्सर भोले के भक्त रहते हैं।
चोपता (Chopta Uttarakhand in Hindi)
यह स्थान गोपेश्वर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यह समुद्र तल से 2900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। चोपता के आसपास मखमली घास के बुग्याल है। जिससे इसकी सुंदरता में चार चाँद लगते है। यहां से आप हिमालय श्रृंखला के विभिन्न पर्वतों को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
केदारनाथ यात्रा विवरण
उत्तराखंड में अब कुछ ही दिनों में चार धाम मंदिरों के कपाट खुलने वाले हैं। जिससे यहां पर चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। चारों धामों के कपाट अलग-अलग दिवसों में खुलते हैं। जो शीतकालीन समय निकट आने पर बंद होते हैं। इन्हीं यात्रा में केदारनाथ यात्रा भी प्रमुख यात्रा है। इस वर्ष केदारनाथ में रिकॉर्ड पर्यटक पहुंचने की उम्मीद शासन प्रशासन और स्थानीय जनता लगा रही है।
वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद यह यात्रा लगभग थम सी गई थी। लेकिन केदार घाटी का पुनर्निर्माण होने से और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी जी के कई बार यहां की यात्रा करने से यह अब पुनः गति पकड़ रही है, केदारनाथ यात्रा पर जाते समय आपको गौरीकुण्ड से 14 किलोमीटर की यात्रा पैदल या घोड़े खच्चरों पर या कंडियो द्वारा आप आगे जा सकते है।
जो लोग शारीरिक रूप से अस्वस्थ रहते हैं, वे लोग यात्रा पर न जाने की सलाह दी जाती है। जैसे -जैसे आप गौरीकुंड से ऊपर के बढ़ोगे तो ऑक्सीजन का लेवल घटता जाएगा। केदारनाथ जाते समय अब सरकार द्वारा जगह-जगह पर्यटक सुविधा केंद्र भी खोले गए हैं। जिससे यात्रियों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो पर्यटक इस यात्रा पर आते समय अपने साथ गर्म कपड़े स्वेटर जैकेट इत्यादि जरूर लाएं।
जब दिल्ली इत्यादि स्थानों पर 40 डिग्री के पार तापमान होता है। उस समय भी यहां पर तापमान बहुत कम होता है। यहां पर रुकने के बाद आपको शांति की अपार अनुभूति होगी। आपके अंदर हर प्रकार के विकार लोभ, लालच ,क्रोध, कामवासना ,इत्यादि समाप्त हो जाएगी।
यहां के बारे में मान्यता है कि यदि आप आप पूरी मनोकामना और सच्चे दिल से भगवान केदारनाथ की यात्रा करते हैं। तो मन्नत जरूर पूरी होती है। केदारनाथ यात्रा उत्तराखंड ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। जिसके कारण यहां पर देश ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी भगवान केदारनाथ जी के दर्शन करने के लिए आते हैं।
रुद्रप्रयाग कैसे पहुंचे
यदि आप इस वर्ष 2021 में उत्तराखंड के इस खूबसूरत जनपद रुद्रप्रयाग आना चाहते हैं, तो आप हवाई, रेल व सड़क के माध्यम से इस खूबसूरत जगह पर कैसे पहुंच सकते हैं। निचे विवरण दिया गया है। अभी ताजा जानकारी के अनुसार रुद्रप्रयाग जनपद को उत्तराखंड सरकार ने गैरसैण कमिश्नरी में शामिल किया है। जिससे इसमें शामिल सभी 4 जनपदों का भौतिक रूप से से विकास होने की संभावना है। जिससे यात्रा समय में काफी कमी आएगी।
हवाई मार्ग द्वारा
हवाई मार्ग द्वारा रुद्रप्रयाग पहुंचने के लिए सबसे निकटतम एयरपोर्ट जौली ग्रांट है। जो गढ़वाल मंडल का एकमात्र दैनिक रूप से संचालित होने वाला हवाई अड्डा है। यदि आप दिल्ली से रुद्रप्रयाग हवाई मार्ग से आते हैं, तो दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से देहरादून के लिए एरोप्लेन समय-समय पर उड़ाने भरते रहते हैं। उसके बाद आपको सड़क मार्ग द्वारा बस एवं टैक्सी से लगभग 5 घंटे में रुद्रप्रयाग पहुंच सकते हैं। जौलीग्रांट से रुद्रप्रयाग की सड़क मार्ग से दुरी लगभग 155 किमी है।
ऑल वेदर रोड का कार्य पूर्ण होने पर सड़क मार्ग से यहां पहुंचने का समय काफी कम हो जायेगा। केदारनाथ जाने एवं वहां से वापस आने के लिए देहरादून से हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है। जो यात्रा सीजन में सहस्त्रधारा से उड़ान भरते हैं, जिससे बहुत सारे यात्री एक ही दिन में केदारनाथ भगवान के दर्शन कर वापस देहरादून लौट जाते हैं।
देहरादून से केदारनाथ जाने का किराया औसतन ₹3000 से ₹5000 के आस पास होता है। हवाई जहाज से केदारनाथ जाने के समय आपको हिमालय के अद्भुत दर्शन होंगे साथ ही साथ ही ऊंची नीची घाटियों के ऊपर से गुजरने के बाद आपको अत्यंत आनंद की अनुभूति होगी। इसके टिकट आपको ऑनलाइन या ऑफलाइन टिकट काउंटर से टिकट बुक करा सकते हैं। हवाई मार्ग द्वारा आप देहरादून से आधे घंटे में केदारनाथ पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा
रुद्रप्रयाग पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। इसके बाद आप उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों से या टैक्सी के माध्यम से यहां पहुंच सकते हैं। यात्रा सीजन में दिल्ली या देश के अन्य रेलवे स्टेशनों से ऋषिकेश के लिए अतिरिक्त ट्रेनों को भी चलाया जाता है जिससे यात्रियों को किसी भी प्रकार की समस्या न हो भविष्य में वर्ष 2024- 25 तक ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य पूरा हो जाएगा।
उसके बाद यात्रीगण दिल्ली या देश के अन्य राज्यों से रेल मार्ग द्वारा सीधा रुद्रप्रयाग पहुंच सकते हैं। इस ट्रैक पर यात्रा करना बहुत ही रोमांचकारी होगा एवं आनंददायक होगा क्योंकि यह ट्रैक पहाड़ी मार्गों से होकर गुजरेगा जो यात्रियों के लिए नया अनुभव होगा।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग द्वारा आप देश या राज्य की विभिन्ना स्थानों से रुद्रप्रयाग पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग की सड़क मार्ग से दूरी 141.6 किलोमीटर के आसपास है ।नई दिल्ली से रुद्रप्रयाग 383 किलोमीटर के आसपास दूर है आपको राज्य के प्रत्येक स्थान से रुद्रप्रयाग के लिए बस एवं टैक्सी आसानी से एवं सस्ते दरों पर उपलब्ध हो जाती है एवं दिल्ली से रुद्रप्रयाग आने के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें इस रूट पर नियमित रूप से अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं।
यात्रा सीजन में देश के विभिन्न स्थानों से बहुत सारे टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी केदारनाथ के लिए यात्रियों को पैकेज उपलब्ध कराती है जिससे रुद्रप्रयाग एवं केदारनाथ पहुंचना और भी भी आसान हो जाता है।
GOOGLE MAP OF RUDRAPRAYAG IN HINDI
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