Haridwar Uttarakhand। Best Place to Visit in Haridwar in Hindi | 2024
हरिद्वार उत्तराखंड (Haridwar Uttarakhand), इतिहास, पुराना नाम, गंगा से दुरी, हरिद्वार मैप हिंदी में, Haridwar in Which District 2024
हरिद्वार – हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल मंडल में स्थित है, जो स्वयं एक जिला है, एवं साथ ही हिन्दू धर्म का बहुत बड़ा धर्मिक केंद्र भी है। यह गंगा नदी के तट पर स्थित है। हरिद्वार या हरद्वार जो दो शब्दों से मिलकर बना है – हरि + द्वार। जिसमें हरि का अर्थ भगवान व द्वार का अर्थ दरवाजा होता है, यानी देव भूमि उत्तराखंड का प्रवेश द्वार जोकि शिवालिक श्रेणी की बेल्ट व नील पर्वतों के मध्य गंगा के दाहिने किनारे पर स्थित है। प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग हरिद्वार भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
Haridwar Uttarakhand को मायापुरी और कपिला के नाम से भी भी जाना जाता है। Haridwar नगर Uttarakhand के चार धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के प्रवेश के लिए एक प्रमुख द्वार हैं। यही स्थान है, जहां गंगा मैदान में प्रवेश करती है।
विषय सूची
हरिद्वार का पौराणिक इतिहास (Haridwar Uttarakhand History in Hindi)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण काल से पूर्व यहां कपिल मुनि का आश्रम था, कहा जाता है कि जब सूर्यवंशी राजा सागर अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे, तो भगवान इंद्र ने यज्ञ के घोड़े को चुपके से इसी आश्रम में बांध दिया था। सागर के साठ हजार पुत्र घोड़े को खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम में पहुंच गए हैं, तो उन्होंने यज्ञ के घोड़े को आश्रम में बांधा हुआ देखा पाया, उनको बहुत क्रोध आया और क्रोध में उन्होंने कपिल मुनि को अपशब्द कह दिया।
बिना वजह से अपशब्द कहने पर मुनि को अत्यधिक क्रोध आया उन्होंने राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को श्राप दे दिया और वे सभी भस्म हो गए। राजा सगर के वंशज भागीरथ ने कठोर तपस्या की और अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को धरती पर अवतरण कराया। मां गंगा को कपिल मुनि के आश्रम से गुजार कर उन्होंने अपने पूर्वजों का उद्धार कराया इन्हीं कपिल मुनि के नाम पर हरिद्वार को कपिला भी कहा जाता है।
पौराणिक इतिहास विदों के अनुसार, हरिद्वार में आसपास के वन को खांडव वन भी कहते हैं, इसी वन में पांडवों ने अज्ञातवास में अपना समय बिताया था, और धृतराष्ट्र, गांधारी तथा विचित्रवीर्य के सुपुत्र विदुर ने भी अपना शरीर यही त्यागा था। कहा जाता है कि सप्त ऋषियों ने हरिद्वार में एक कठोर तप किया था, जिसके कारण गंगा को यहां से सात धाराओं में बहना पड़ा था।
आज से लगभग 2056 वर्ष पूर्व उज्जैन के यशस्वी सम्राट विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भरतरी ने हरिद्वार में तपस्या की और दो महान ग्रंथों नीति शतक व वैराग्य शतक की रचना की थी। अपने बड़े भाई की याद में राजा विक्रमादित्य ने हरिद्वार में गंगा नदी पर पौड़ियां या सीढ़ियों का निर्माण कराया था। जो आज हर की पैड़ी के नाम से प्रसिद्ध है।
चीनी यात्री हेनसांग सन 634 ईस्वी में हरिद्वार के भ्रमण पर आए थे और अपने साथ यहां से भरपूर अध्ययन सामग्री साथ ले गए थे, उन्होंने हरिद्वार को मो-यू-ला एवं मां गंगा को महा भद्रा नाम से भी पुकारा है।
मुगल काल के दौरान सम्राट अकबर के इतिहासकार अबुल फजल आईने अकबरी में लिखते हैं कि अकबर की रसोई घर घर में केवल गंगाजल ही प्रयुक्त होता था। इसी के सेनापति मानसिंह द्वारा हरकी पैड़ी का जीर्णोद्धार कराया था। हरिद्वार हिंदू धर्म के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। (सन्दर्भ- उत्तराखंड एक समग्र अध्ययन – परिक्षावाणी पृष्ठ संख्या-208)
हरिद्वार का शासन-प्रशासन (Administration of Haridwar Uttarakhand)
Haridwar Uttarakhand राज्य का एक मैदानी जनपद है, और गंगा नदी के किनारे स्थित है। जहां प्रति वर्ष हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लाखो श्रद्धालु आते है। इससे स्थानीय लोगो को रोजगार मिलता है। यही कारण है कि यहां पर बड़ी घनी आबादी निवास करती हैं। इसके साथ यहां पर बहुत से शैक्षणिक केंद्र भी है। हरिद्वार जिले को प्रशासनिक रूप से चार तहसीलों में विभाजित किया गया है। जिनका विवरण निम्न है
तहसीलों
रुड़की | हरिद्वार |
भगवानपुर |
हरिद्वार जिले के ब्लॉक
लक्सर | खानपुर |
नारसन | रुड़की |
भगवानपुर | बहादराबाद |
हरिद्वार की स्थिति
देश | |
राज्य | उत्तराखंड |
मंडल | गढ़वाल |
मुख्यालय | हरिद्वार |
जिले की स्थापना | 8 दिसम्बर सन 1988 ईसवी |
राज्य गठन पूर्व मंडल | सहारनपुर |
साक्षरता | 73.43 |
पुरुष साक्षरता | 81.04 |
महिला साक्षरता | 64.79 |
लिंगानुपात | 902 |
घनत्व | 801 |
क्षेत्रफल | 2360 km |
भाषाएँ | हिंदी ,गढ़वाली, |
संसदीय क्षेत्र | एक |
वाहन पंजीकरन | UK08 व UK17 |
हरिद्वार जिले के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र – 11
हरिद्वार | हरिद्वार ग्रामीण | भेल रानीपुर |
झबरेड़ा | भगवानपुर | रुड़की |
पिरान कलियर | ज्वालापुर | खानपुर |
मंगलोर | लक्सर |
हरिद्वार के प्रमुख उप नगर
रुड़की
रुड़की हरिद्वार जनपद का खूबसूरत शहर है। यहां पर भारतीय सेना की छावनी स्थित है। यह देश की की सबसे पुरानी छावनियों में से एक हैं। सेना के बंगाल इंजीनियर समूह का मुख्यालय 1853 से यहीं पर है। यह नगर राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर गंग नहर के तट पर स्थित है। सर्वप्रथम अंग्रेजों के अभिलेखों से रुड़की का उल्लेख मिलता है। 1813 ईस्वी के बाद के बाद बाद रुड़की को पूरी तरह से ब्रिटिश शासकों ने अपने अधीन ले लिया था।
रुड़की नगर में सन 1869 ईसवी में ही नगर पालिका बोर्ड की स्थापना कर दी गई थी। रुड़की में गंगा नहर का निर्माण कार्य 1854 ईस्वी में पूर्ण हो गया था। इसे 1854 को चालू कर दिया गया। पथरी मोहम्मदपुर गांव में गंग नहर पर जल विद्युत गृह बनाकर बिजली उत्पादन भी किया जा रहा है। रुड़की में देश की प्रथम रेलगाड़ी 1851 मैं चलाई गई थी। इसमें केवल मिट्टी को ढोया जाता था। इसके बाद 1853 ईस्वी में मुंबई से ठाणे के बीच पहली यात्री रेलगाड़ी चलाई गई थी। देश का सबसे पुराना IIT संस्थान भी रुड़की में ही स्थित है।
मंगलोर Haridwar Uttarakhand
मंगलोर हरिद्वार का एक खूबसूरत नगर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 58 से जुड़ा हुआ है। बैंगलोर क्षेत्र में गन्ने की फसल काफी अच्छी होती है जिससे यहां पर गुड़ एवं चीनी का उत्पादन भी अधिक होता है। मंगलोर गुड़ की मंडी के लिए प्रसिद्ध है। यहां से पूरे भारत के लिए गुड़ की सप्लाई होती है। बसंत के मौसम में यह नगर अत्यंत प्यारा लगता है। क्योंकि इस समय गेहूं एवं सरसों से भरे हुए खेत बहुत आकर्षक लगते हैं।
नारसन
यह एक उत्तराखंड के बॉर्डर वाला क्षेत्र है। यह उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करता है। यहां पर सेल टेक्स, वन विभाग एवं अन्य विभागों की चेक पोस्ट लगे हुए हैं।
खानपुर
यह हरिद्वार का ही विधानसभा क्षेत्र है।इसकी विधानसभा संख्या 32 है। भविष्य में यहां पर उत्तराखंड सरकार द्वारा सिडकुल की स्थापना की जाएगी। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके लिए क्षेत्रीय विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन द्वारा भी बहुत प्रयास किया गया। यहां सिडकुल की स्थापना हो जाने के पर यह क्षेत्र विकसित हो जाएगा। जिसका लाभ पूरे उत्तराखंड वह भारत को मिलेगा।
लक्सर
लक्सर बहुत छोटा शहर है। यहां पर एक बहुत बड़ी चीनी मिल है, और यहां पर रेल का बड़ा जंक्शन भी है, इस जंक्शन से प्रतिदिन सैकड़ो रेल गाड़ियां गुजरती है। इसके आसपास आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत एवं मनमोहक है।
कनखल
यह हरिद्वार के दक्षिण में स्थित एक उपनगर है। यह नगर दक्ष प्रजापति की राजधानी थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दक्ष प्रजापति शिव के ससुर थे। संस्कृत के महान विद्वान कालिदास जी ने अपने ग्रंथ मेघदूत में इस नगर का वर्णन किया था।
हरिद्वार में औद्योगिक इकाइयां
राज्य सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पूरे राज्य में सिडकुल की स्थापना की की जिसमें सिडकुल पंतनगर, सिडकुल सेलाकुई, सिडकुल उधम सिंह नगर व सिडकुल हरिद्वार प्रमुख हैं।
BHEL
भेल हरिद्वार में मुख्य औद्योगिक इकाई है, इसमें हेवी इलेक्ट्रिकल्स उपकरण बनाए जाते हैं। इसमें बड़े आकार की भाप और गैस टरबाइन, टर्बो जनरेटर, कंडेनसर इत्यादि बहुत बड़ी मात्रा में बनाए जाते हैं।
सिडकुल
सिडकुल हरिद्वार में बहुत बडे भूभाग पर स्थित है। यहां पर हर तरह का उद्योग स्थापित है। जिसमें दवाईयां, स्टील, लोहा, कपड़ा ,मार्केटिंग, टायर ,प्लास्टिक ,शूज ,एवं सौंदर्य आदि प्रमुख है। इन उद्योगों में उत्तराखंड के लोगों को काम करने की वरीयता मिलती है इसके साथ पूरे भारत से लोग यहां पर काम करने के लिए आते हैं एवं इसके साथ सिडकुल से बहुत बड़े जनसंख्या को रोजगार मिलता है। यहां से पूरे भारत एवं विश्व के कुछ देशों तक माल सप्लाई होता है।
पतंजलि योगपीठ
पतंजलि एक तरफ योग शिक्षा का केंद्र है साथ ही योग संस्थान एक औद्योगिक इकाई भी है ।जहां तरह-तरह की की प्रोडक्ट तैयार होते हैं जो उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। पतंजलि के प्रोडक्ट देश-विदेश मैं खूब पसंद किए जाते हैं इसके साथ यहां पर निकायों में बहुत सारे लोग काम करते हैं।
हरिद्वार में प्रमुख शैक्षणिक संस्थान व अन्य संस्थान
लोक सेवा आयोग(UKPSC)
प्रदेश में राज्य लोक सेवा आयोग का गठन अप्रैल 2001 में किया गया था। आयोग का मुख्यालय हरिद्वार में है। राज्य में बहुत से विभागों के चयन का अधिकार आयोग को दिए गए हैं। आयोग के प्रथम अध्यक्ष AP नवानी को बनाया गया था। वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल रिटायर्ड आनंद सिंह रावत है। जो मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के हैं।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय
यह हरिद्वार का प्रमुख शैक्षणिक केंद्र है। इसकी स्थापना स्थापना 1902 में स्वामी श्रद्धानंद ने की थी ।इस विश्वविद्यालय में हिंदी मैं भारतीय साहित्य, भारतीय दर्शन, भारतीय संस्कृति एवं साहित्य के साथ-साथ आधुनिक विषयों में यहां पर अनुसंधान भी कराया जाता है। यह विश्वविद्यालय यूजीसी से मान्यता प्राप्त है। वर्तमान में यहां पर 4000 से अधिक छात्र अध्ययन व शोध कार्य कर रहे हैं।
इस विश्वविद्यालय के तीन परिसर है
मुख्य परिसर (हरिद्वार) लड़कों के लिए
कन्या गुरुकुल महाविद्यालय (हरिद्वार )कन्याओं के लिए
कन्या गुरुकुल महाविद्यालय (देहरादून) कन्याओं के लिए
गुरुकुल का मुख्य उद्देश्य गुरु शिष्य के मध्य पिता-पुत्र के संबंधों के प्राचीन आदर्शों को पुनः स्थापित करना है। जिससे भावी जीवन के लिए छात्र का आधार बन जाए। और विद्यार्थियों के अंदर भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था उत्पन्न करना है। गुरुकुल में छात्रों को तपस्या पूर्ण जीवन का अभ्यास कराया जाता है।
साथ ही मातृभाषा हिंदी को भी बढ़ावा दिया जाता है। यहां पर छात्रों को निशुल्क शिक्षा दी जाती हैं। यहां पर परीक्षा भी अलग तरह से होती हैं। छात्रों को दैनिक क्रियाएं भी करनी होती है, जिसमें साफ सफाई एवं छात्रों के व्यवहार को भी देखा जाता है। इसके साथ ही छात्रों को खेलकूद भी सिखाया जाता है।
उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय
यह विश्वविद्यालय भी उत्तराखंड राज्य की जनपद हरिद्वार में स्थित है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 2005 में हुई थी। ऐसे महाविद्यालय जो पूर्व में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध थे, वे सभी संस्कृत विश्वविद्यालय/यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध हो गए, अब ऐसे महाविद्यालयों की संख्या 52 है।
अभी हाल ही में उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में भारतीय संस्कृति के साथ-साथ अन्य संस्कृतियों का तुलनात्मक अध्ययन एवं अनुसंधान किया जाता है।
व इसके साथ साथ वैदिक साहित्य ,लौकिक साहित्य, पाली, एवं प्राकृतिक भाषा के प्राकृतिक भाषा के महत्वपूर्ण ग्रंथों का अध्ययन एवं अनुवाद कराया जाता है ।यहां पर शास्त्री की उपाधि 3 वर्ष की होती है जिसमें प्रथम व द्वितीय वर्ष संस्कृत भाषा और साहित्य सामान्य दर्शन तथा हिंदी अनिवार्य है। वैकल्पिक विषयों में वेदों का अध्ययन कराया जाता है व्यवसायिक पाठ्यक्रम में वास्तु शास्त्र शास्त्र कर्मकांड ज्योतिष जनसंचार कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय
हरिद्वार में स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना 2002 की गयी थी। यहां आर्युवेद एवं तंत्र मंत्र, धर्म दर्शन पर शोध की सुविधा उपलब्ध है। डॉ प्रणव पंड्या इस विश्वविद्यालय के प्रथम कुलाधिपति है। यह विश्वविद्यालय करीब 30000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। शिक्षण के लिए तक्षशिला भवन बहुत बड़ा है। जिसमें 30 बड़े हाल है, इसमें क्लासरूम सभागार समिति कक्ष कंप्यूटर का कक्ष प्रशासनिक कक्ष के साथ-साथ पुस्तकालय भी है, जो देव संस्कृति विश्वविद्यालय को दिव्य स्वरुप प्रदान करते हैं।
शांतिकुंज गायत्री परिवार
शांतिकुंज (Haridwar uttarakhand) में गंगा तट पर स्थित एक विश्व प्रसिद्ध स्थान है।जितने भी देश में गायत्री संस्थान उन सभी का यहां पर मुख्यालय है । इस संस्थान के संस्थापक श्रीराम शर्मा जी है। कहा जाता है कि यह स्थल विश्वामित्र की तपस्थली भी रही है ।इस स्थल को योग तीर्थ भी कहा जाता है । इस संस्थान में परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण ओर राष्ट्र निर्माण की अन्य गतिविधियां होती है।
यहां पर सभी प्रकार की शिक्षा निशुल्क प्रदान की जाती है जिसके कारण यहां देश-विदेश के हजारों साथ शिक्षा अर्जित करते हैं इस संस्थान की स्थापना 1971 में हुई थी इस संस्थान में संस्थान में में नित्य गायत्री यज्ञ व साधना होती है यह संस्थान आज गायत्री तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है।
IIT(रुड़की)
आईआईटी रुड़की भारत का एक इंजीनियरीग हब है। यह संस्थान हरिद्वार जिले के रुड़की नगर में स्थित है। इसका पहले नाम थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज था। 2001 में इसे आईआईटी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया था। आईआईटी बनने के बाद इस संस्थान ने छात्रों को छात्रों को उत्तम कोटि की शिक्षा एवं अनुसंधान करने में अग्रणी भूमिका अदा की है।
यह संस्थान पूरे विश्व में प्रौद्योगिकी पूरे विश्व में प्रौद्योगिकी संस्थानों में अपना अहम स्थान रखता है है इस संस्थान को भारत सरकार ने एक अध्यादेश से देश का सातवें आईआईटी का दर्जा दिया गया है। यहां प्रतिवर्ष देश के हजारों विद्यार्थी लाभ ले रहे हैं।
कुंभ मेला हरिद्वार
कुंभ की ताजा जानकारी ताजा जानकारी:- उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2021 में कोरोना महामारी के कारण कुंभ मेला को छोटे प्रारूप में संपन्न करने का निर्णय साधु-संतों से विचार-विमर्श करके लिया है। कुंभ मेला 1 अप्रैल से 28 अप्रैल तक केवल 28 दिनों में संपन्न होगा। जो शायद इतिहास में पहली बार इतने कम समय का होगा। सामान्यतः कुम्भ लगभग चार से पांच माह तक चलता हैं।
कुंभ मेला कहां-2 आयोजित होता है।
पूरे देश में कुंभ पर्व चार जगह आयोजित होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवताओं और राक्षसों में समुद्र मंथन का संघर्ष चल रहा था। तो उसी दौरान अमृत के घड़े से चार बंदे पृथ्वी पर चार जगह पर गिरी थी। उन्हीं चार स्थानों पर आज कुंभ मेला आयोजित होता है। जिनका विवरण निम्न है –
1 प्रयाग राज
2 हरिद्वार
3 उज्जैन
4 नासिक
इनमें से प्रति का स्थान स्थान का स्थान पर हर 12 वर्ष में एक बार कुंभ का आयोजन भव्य तरीके से होता है जिसमें करोड़ों श्रद्धालु स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं एवं इन चारों स्थानों पर प्रतीक जगह अर्ध कुंभ मेले का आयोजन भी होता है, जो कुंभ की ठीक 6 वर्ष बाद वर्ष बाद होता है। खगोल शास्त्रियों के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है ऐसा माना जाता है की मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से मनुष्य के भाग्य में बदलाव आता है।
कुंभ के विशेष दिन :-
1 मकर संक्रांति
2 मोनी अमावस्या
3 बसंत पंचमी
4 महा शिवरात्रि
हरिद्वार में प्रमुख पर्यटक स्थल (Best Place to Visit in Haridwar Uttrakhand)
द्वार में बहुत सारी पर्यटक स्थल है जिसका पर्यटक स्थल है जिसका विवरण निम्नानुसार है –
हर की पैड़ी (Har ki Pauri Haridwar Uttarakhand 2021)
यह पवित्र घाट ब्रह्म कुंड के रूप में भी अत्यधिक प्रसिद्ध है। पुराने समय से ही ऐसी मान्यता है कि यहां पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्थान हरिद्वार का केंद्र बिंदु माना जाता है। हर की पैड़ी के आसपास का बाजार बहुत सुंदर एवं आकर्षक हैं। यहां पर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लाखो श्रद्धालू प्रति वर्ष स्नान करने आते है।
ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति मिलती हैं। स्नान करने के लिए घाट का निर्माण किया गया है, जिसमें सांकल इत्यादि लगे हुए हैं। हर की पैड़ी पर बहुत सारे लोग अपने पितरों को पिंड दान भी करते हैं।
गऊघाट (Gaughat Haridwar)
हर की पैड़ी के दक्षिण में स्थित इस घाट पर स्नान करने से गौ हत्या के पाप से मनुष्य को मुक्ति मिलती है।
कुशावर्त घाट (Kushawart Ghat in Hindi)
यह घाट गऊघाट के नजदीक ही स्थित है, पुरानी मान्यताओं के अनुसार दत्तात्रेय ऋषि ने इस स्थान पर एक पैर पर खड़े पर खड़े होकर घोर तपस्या की थी। गंगा के प्रभाव से ऋषि के कुश बह गए थे। जो बाद में मां गंगा को वापस करने पड़े थे। यहां पर भी श्राद्ध कर्म एवं पिंडदान किया जाता है।
मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Temple)
मनसा देवी को शिव भगवान की मानस पुत्री के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि मनसा देवी की उत्पत्ति की उत्पत्ति मस्तक से हुई है। इसलिए इनका नाम मनसा पड़ा मनसा देवी को नागों की देवी भी कहा भी कहा जाता है। इसलिए इनका एक नाम नागकन्या भी है। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव को एक बार विष पीना था। तो मनसादेवी ने भगवान शिव को बचाया था।
जिसके कारण इनका नाम विषकन्या भी हो गया था। भारत के बहुत बड़े भूभाग पर बिहार, झारखंड, बंगाल इत्यादि में मनसा देवी की पूजा विषकन्या के रूप में होती है। भादो या भाद्रपद के पूरे महीने इनकी पूजा होती है। हरिद्वार में मनसा देवी का मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है।
मनसा देवी मंदिर के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लीक करें।
चंडीदेवी मंदिर हरिद्वार (Chandi Devi Temple Haridwar)
चंडी देवी मंदिर हरिद्वार के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। यहां चंडी देवी की पूजा की जाती है। यह हर की पैड़ी से 6 किमी की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर नील पर्वत पर स्थित है। तथा उत्तराखंड के प्रमुख मंदिरों में से एक है। साथ ही यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में भी प्रमुख है, यह मंदिर कश्मीर के राजा सुजीत सिंह द्वारा 1929 ईस्वी में बनाया गया था। यह मान्यता के अनुसार आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहां स्थापित करवाई गई थी।
भारत माता मंदिर (Bharat Mata Temple in Hindi)
यह मंदिर भी हरिद्वार में स्थित है। यह मंदिर भारत माता को समर्पित है। इस मंदिर का उदघाटन हमारे देश की भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के कर कमलों द्वारा 1983 में हुआ था। इस मंदिर में 8 मंजिलें हैं। जो इसके आकर्षण का केंद्र हैं। इसके आठवें मंजिल पर भगवान शिव का मंदिर है। यहां भगवन शिव की बहुत विशाल एवं आकर्षक मूर्ति लगी है।
दूधाधारी बर्फानी मंदिर (Doodadhari Barfani Temple)
यह मंदिर भी धार्मिक नगरी हरिद्वार में स्थित है। यह मंदिर सफेद संगमरमर का बना हुआ है। इस मंदिर परिसर में अनेक हिंदू देवी देवताओं के मंदिर हैं। जो बर्फानी मंदिर की शोभा में चार चांद लगाते हैं।
सप्त ऋषि आश्रम
राजा भगीरथ के प्रयास से जब गंगा पृथ्वी पर उतरी थी। तो हरिद्वार के निकट गंगा जी सप्त ऋषियों के आश्रम को देखकर रुक गई थी। कहा जाता है कि गंगा वहां से यह निर्णय नहीं कर पाई की किस ऋषि के आश्रम से बहे या प्रवाहमान हो। यदि गंगा किसी एक ऋषि के पास से प्रवाहित होती, तो बाकी ऋषियों का अपमान होता। बात सभी ऋषियों के मान सम्मान की थी तो गंगा को यह भी डर था कि ऋषियों के क्रोधित हो जाने के कारण वह शापित हो सकती थी।
तब गंगा को देवताओं ने सात धाराओं में बहने को कहा। उसके बाद गंगा नदी वहां से सात धाराओं में प्रवाहित हुई। तब से यह जगह सप्त सरोवर या सप्त ऋषि के नाम से विख्यात हुआ। इसी जगह पर आज सप्त ऋषि आश्रम स्थापित है। आर्य आश्रम हरिद्वार एवं उत्तराखंड के प्रमुख आश्रमों में से एक है। जहां पर आज भी विभिन्न अखाड़ों के ऋषि मुनि रहते हैं।
माया देवी मंदिर (Maya Devi Temple in Hindi)
यह हरिद्वार का सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। यह मंदिर हरिद्वार के बस स्टेशन, ऋषि कुल व रेलवे स्टेशन से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर नगर के मध्य स्थित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी सती ने अपने पिता द्वारा अपने पति भगवान शिव का अपमान किए जाने पर जीवन का बलिदान दिया था।
जब सती की मृत्यु हुई, तो भगवान शिव अत्यधिक दुखी हो गए। इन्होंने सती के शरीर को कैलाश पर्वत पर ले जाना उचित समझा। ले जाते समय कुछ भाग हरिद्वार में गिर गया था। जिसके कारण यहां शक्तिपीठ बन गया गया। इस मंदिर में देश-विदेश से भक्त लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं।
गंगा आरती गंगा (Ganga Arti Haridwar in Hindi)
गंगा आरती हरिद्वार में मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस आरती में सम्मिलित होने के लिए भक्तगण दूर-दूर से हरिद्वार आते से हरिद्वार आते हैं। आरती हर रोज संध्याकालीन समय में की जाती है। इस समय आसपास का पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो जाता है।
अब गंगा आरती का लाइव प्रसारण भी दिखाया जाएगा। साथ ही हरिद्वार में दूसरे इलाकों में बड़ी-बड़ी एलसीडी एलसीडी लगाई जाएगी। जिस से दूर दूर से लोग गंगा आरती को देख सकते हैं इसके साथ उच्च गुणवत्ता वाले साउंड सिस्टम भी लगाए जाएंगे जिससे गंगा आरती का आकर्षण और बढ़ जाएगा।
राजाजी नेशनल पार्क (Rajaji National Park)
हाथियों के लिए प्रसिद्ध राजाजी नेशनल पार्क महान स्वतंत्रता सेनानी चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया है। 1983 तक यहां तीन पार्क थे।
- राजाजी
- मोतीचूर
- चिल्ला
इन सभी को मिलकर अब इस पार्क का नाम अब राजाजी नेशनल पार्क कर दिया है। इस पार्क में हाथियों के अलावा हिरण, चीतल, सांभर, मोर आदि पाए जाते हैं। यह पार्क हरिद्वार से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह 830 वर्ग किलोमीटर की बड़े भूभाग में फैला हुआ है। इसके साथ इस पार्क में कई प्रकार की पक्षियों की प्रजातियां भी पाई जाती है।
हरिद्वार में कैसे पहुंचे (How to reach Haridwar in Hindi)
हवाई मार्ग द्वारा (By Air)
यदि आप एरोप्लेन से हरिद्वार आना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा या एयरपोर्ट जौली ग्रांट है, जो हरिद्वार से 30 किमी की दूरी पर है। यदि आप दिल्ली या देश के अन्य शहरों से हरिद्वार आना चाहते हैं। तो दिल्ली से देहरादून के लिए नियमित तौर पर फ्लाइटे है। उसके बाद वहां से आप बस या टैक्सी के माध्यम से हरिद्वार आसानी से पहुंच सकते हैं बस और टैक्सी हरिद्वार के लिए आपको 24 ×7 पर उपलब्ध रहती है।
रेल मार्ग द्वारा (By Train)
हरिद्वार के लिए देश के बहुत सारे जगहों से जगहों से ट्रेन में संचालित होती है। इनमें जम्मू दिल्ली उत्तर प्रदेश प्रदेश प्रमुख है। दिल्ली से यदि आप हरिद्वार आना चाहते हैं, तो नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली दोनों स्टेशनों से आपको ट्रेनें उपलब्ध हो जाएगी। जो आपको 6 से 7 घंटों में हरिद्वार पहुंचा देगी। अभी कुंभ के दौरान सरकार द्वारा कई अतिरिक्त ट्रेनें भी चलाई जा रही है। इसके लिए आप आईआरटीसी (IRTC) की वेबसाइट पर जाकर बुक कर सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा (By Road)
सड़क मार्ग द्वारा हरिद्वार देश के विभिन्न स्थानों से पहुंच सकते हैं। यदि आप दिल्ली से हरिद्वार आना चाहते हैं, तो आईएसबीटी कश्मीरी गेट से नियमित तौर पर दिन और रात में प्राइवेट और सरकारी बसें संचालित होती है। जो दिल्ली से हरिद्वार आपको 4 – 5 घंटों में पहुंचा देगी। आप सड़क मार्ग से अपने व्यक्तिगत वहां से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।
Haridwar District Map in Hindi
हरिद्वार में घूमने के लिए क्या-क्या है?
कुम्भ नगरी हरिद्वार में घूमने के लिए कहीं स्थान है। जहां भ्रमण करने से आप भरपूर इंजॉय कर सकते हो। साथ ही यदि आप धार्मिक आस्था से जुड़े है, तो हरिद्वार से बड़ा केंद्र आपको शायद ही कोई मिलेगा।
हरिद्वार में घूमने लायक जगहें कुछ जगहें निम् है –
मनसा देवी मंदिर
राजाजी नेशनल पार्क
पतंजली योगपीठ
स्वामि विवेकानंद पार्क
वैष्णो देवी मंदिर
भारत माता मंदिर
हरकी पौड़ी