Uttarakhand aapda | Uttarakhand Glacier Burst | उत्तराखंड आपदा in Hindi 2024
उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदा, Uttarakhand Glacier Burst, Uttarakhand aapda, प्राकृतिक आपदा क्या होती है? परिचय, प्रबंधन, कारण व समाधान Full explain 2021 in Hindi
7 फरवरी 2021 रविवार को सुबह उत्तराखंड के चमोली जिले के रैणी गांव (Reni Gaon) के आसपास ग्लेशियर टूटने से एक बहुत बड़ा हादसा हो गया है, जिसमें उत्तराखंड व देश को अपार जनधन की क्षति हुई है, अभी राहत एवं बचाव कार्य निरंतर जारी है। सेना, आइटीबीपी, एयर फोर्स, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमें वहां पहुंच गई है, जिससे राहत एवं बचाव कार्य में और भी गति आई है।
खबर है कि ऋषि गंगा में जिस प्रोजेक्ट का काम चल रहा था, वहां निर्माणाधीन सुरंग में बाढ़ का पानी घुसने से कई लोगों केेे फंसे होने की आशंका है, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा भारी मुश्किलों के बीच रेस्क्यू किया जा रहा है। बताया जा रहा है, कि अभी तक 200 से अधिक लोगों के हताहत होने की आशंका है, जिसमें एनटीपीसी के निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट के इंजीनियर, मजदूर एवं अन्य स्टाफ के लापता होने की सूचना है।
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घटनास्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तत्काल दौरा किया और वहां पर हालात का जायजा लिया और अधिकारियों एवं चमोली प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए उत्तराखंड सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹6 लाख देने की घोषणा की है।
जिसमें ₹ 4 लाख राज्य सरकार और ₹2 लाख का केंद्र सरकार सहयोग करेगी, Uttarakhand aapda की इस घटना पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह जी लगातार उत्तराखंड सरकार के संपर्क मैं हैं, और पूरे घटनाक्रम पर पैनी दृष्टि बनाए हुए हैं, इस भीषण आपदा में कई देशों के नेताओं ने दुख की घड़ी में अपनी संवेदना व्यक्त की है, और उत्तराखंड को हर संभव मदद करने की बात कही है।
इस आपदा ने 2013 की केदारनाथ आपदा की स्मृति को ताजा कर दिया है, केदारनाथ में भी जून 2013 में इसी प्रकार का ग्लेशियर टूट गया था, जिसमें भी उत्तराखंड और देश को भारी जान माल की क्षति हुई थी, जिसका पुनर्निर्माण कार्य अभी भी जारी है, चमोली जिले की इस आपदा हेतु जिला प्रशासन द्वारा Toll free number 1070 एवं 9557444486 जारी किए हैं, इन नंबरों पर आप जरुरी सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
ग्लेशियर की टूटने की सूचना मिलते ही प्रशासन द्वारा हरिद्वार तक गंगा को अलर्ट पर रखा गया है, और गंगा किनारे से लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया हैं, जिससे यदि नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो कोई अप्रिय घटना ना हो। गढ़वाल क्षेत्र में सदियों से इस प्रकार की आपदाएं आती रहती है, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है।
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आज कई वर्षों बाद रैणी गांव फिर से Uttarakhand aapda की वजह चर्चा में आ गया है। यह वही गांव है जहां पर गौरा देवी ने अपनी सहेलियों के साथ पेड़ों पर लिपटकर पर्यावरण को बचाने की मुहिम चिपको आंदोलन (Chipako Andolan) के नाम से शुरू की थी, अब ग्लेश्यर टूटने की खबर भी इसी गांव की है, कारणों का पता वैज्ञानिक लगा रहे हैं। आज हमारे द्वारा प्रकृति के साथ अत्यधिक छेड़छाड़ करने से भी इस प्रकार की घटना को बल मिला हो, चिपको आंदोलन पूरे देश और दुनिया में तत्कालीन समय में प्रसिद्ध हो गया था।