बागेश्वर उत्तराखंड | Bageshwar ke Parytan Sthal | 2024
बागेश्वर जिले का इतिहास | उत्तराखंड बागेश्वर डिस्ट्रिक्ट | बागेश्वर उत्तराखंड | Bageshwar Uttarakhand in Hindi | Bageshwar ke Parytan Sthal |
बागेश्वर के बारे में जानकारी: उत्तराखंड पर्यटन की जब हम बात करते है, तो उसमें Bageshwar ke Parytan Sthal भी मुख्य है। बागेश्वर के पर्यटन स्थल मध्य हिमालय की सुंदर घाटी में बागेश्वर अल्मोड़ा से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह कुमाऊं मंडल के खूबसूरत जनपदों में से एक है। यह जनपद ऊंची नीची सुंदर घाटियों से सजा संवरा एक प्रकृति का वरदान है। बागेश्वर को उत्तर का वाराणसी कहा जाता है एक पौराणिक मान्यता है, कि भगवान शिव यहां पर बाघ के रूप में विचरण करते थे इसी कारण इसका एक नाम व्याघ्रेश्वर भी है।
बागेश्वर प्राकृतिक रूप से एक बहुत ही सुंदर जनपद है इस के पूर्वी भाग में भाग में पूर्वी भाग में भीलेश्वर एवं पश्चिमी भाग में नीलेश्वर पर्वत है तथा उत्तरी भाग में सूरजकुंड एवं दक्षिणी भाग में अग्निकुंड है।
बागेश्वर में तीन नदियों का संगम होता है जो क्रमशः सरयू, गोमती वह अदृश्य सरस्वती है यहां के विषय में मान्यता है, कि मनुष्य को समस्त पापों से मुक्ति प्रदान करने के लिए सदाशिव यहां पर धर्म परायण भूमि के रूप में पूजे जाते हैं। बागेश्वर को 1997 में जिला बनाया गया था। इससे पूर्व यह अल्मोड़ा जनपद की तहसील थी।
पौराणिक समय से ही बागेश्वर का धार्मिक ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक रहा है। मानस कांड में गोमती और सरयू नदी के मध्य नीलगिरी बागेश्वर का वर्णन है मत्स्य पुराण में भी नीलगिरी क्षेत्र को एक पवित्र तीर्थ माना गया है और पितृ कर्म करने के लिए अति उत्तम माना गया है ।बागेश्वर की महता ,प्राचीनता एवं ऐतिहासिकता का ज्ञान बागेश्वर बागेश्वर बागेश्वर मंदिर परिसर में 9 वीं सदी के कत्यूरी शासक भूदेव के पत्थर के शिलालेख से प्राप्त होता है।
समुद्र तल से बागेश्वर की ऊंचाई 3294 फिट है इसका जिला मुख्यालय भी यहीं पर है इसके साथ-साथ पर है इसके साथ-साथ पर है इसके साथ-साथ बागेश्वर का देश की आजादी के इतिहास में भी अहम योगदान है। जब पूरे देश में कुली बेगार प्रथा अपने चरम सीमा पर थी। अंग्रेज लोग हमारा खूब शोषण करते थे। तब बागेश्वर में आंदोलनकारियों ने एकत्र होकर सरयू नदी के तट पर कुली बेगार के सभी आवश्यक पत्रावली को जलाकर नदी की धारा में बहा दिया था जिसके बाद यह प्रथा धीरे-धीरे समाप्त हो गई।
विषय सूची
बागेश्वर उत्तराखंड मुख्य सार – 2023
राज्य | उत्तराखंड। |
जिला | बागेश्वर। |
बागेश्वर के मुख्य पर्यटन स्थल | बागनाथ मंदिर ,कौसानी , बैजनाथ पिंडारी ग्लेशियर आदि। |
बागेश्वर डिस्ट्रिक्ट आधिकारिक वेबसाइट | Click here |
दूरी हल्द्वानी से बागेश्वर | 160 किमी। |
दूरी देहरादून से बागेश्वर | 316 किमी। |
ऊंचाई समुद्र तल से। | लगभग 1000 मीटर। |
बागेश्वर के प्रमुख दर्शनीय प्रमुख दर्शनीय स्थल
बागनाथ मंदिर
शहर के निकट ही गोमती और सरयू नदी के संगम पर भोलेनाथ शिव शंकर का भव्य एवं सुंदर मंदिर स्थित है इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां हैं जो इस मंदिर के आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के आसपास का नजारा बेहद आकर्षक है यहां से 8 किलोमीटर दूर गौरी गुफा एवं 5 किलोमीटर की दूरी पर हख मंदिर एवं आधा किलोमीटर दूर चंडिका देवी मंदिर है यह सभी स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है।
कौसानी
कौसानी Bageshwar ke mukhy Parytan Sthal में से एक है। यह समुद्र तल से कौसानी की ऊंचाई 1890 मीटर के आसपास तथा बागेश्वर से 39 किलोमीटर पश्चिम मैं कोसी और गरुड़ नदियों के बीच एक सुंदर आकर्षक पहाड़ी पिंगनाथ पर स्थित है। पर्यटन की दृष्टि से यहां का मुख्य आकर्षण हिमालय के साक्षात दर्शन वह सूर्योदय एवं सूर्यास्त का अद्भुत नजारा दिखाई देता है ।पहले यह स्थल जनपद अल्मोड़ा में था।
लेकिन बागेश्वर अलग जनपद बन जाने के बाद के बाद बाद बन जाने के बाद के बाद अब यहीं पर स्थित है पौराणिक मान्यता है कि यह स्थल मुनि कौशिक की तपस्थली की तपस्थली तपस्थली होने के कारण इसका नाम कौसानी पड़ा।
हिमालय के दर्शन जैसे कौसानी से होते हैं वैसे राज्य के किसी भी भूभाग से नहीं हो सकते हैं यहां से चौखंबा, त्रिशूल ,नंदा देवी नंदा कोट पंचाचुली और नंदा गुगुटी की सभी चोटियां स्पष्ट दिखाई देती है। कौसानी प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर है इसके ठीक सामने कतयुर घाटी स्थित है जहां से आप सुबह के समय सूर्योदय का मनोरम दृश्य देख सकते हैं ।
कौसानी आजादी के आंदोलन के दौरान भी अत्यधिक प्रसिद्ध स्थल था 1929 में महात्मा गांधी यहां पर 12 दिन तक रहे थे थे और( यंग इंडिया) के अपने एक लेख में उन्होंने कौसानी को (भारत का स्विट्जरलैंड )कहा था। गांधी जी जिस स्थान पर रुके थे उस जगह को उन्होंने (अनासक्ति आश्रम) नाम दे दिया क्योंकि यहीं पर उन्होंने (गीता का अनासक्ति योग) लिखा था।
यहां यही पर गांधीजी की शिष्या शिष्या सरला बहन का लक्ष्मी आश्रम भी है। इसके साथ कौसानी प्रकृति प्रेमियों के लिए भी हमेशा आकर्षण का केंद्र रहा है यहां पर महान प्रकृति प्रेमी कवि (सुमित्रानंदन पंत) की जन्मस्थली भी है ।सरकार द्वारा पंत जी की याद में पंत वीथिका मैं एक लघु संग्रहालय स्थापित किया गया है यहीं पर प्रसिद्ध लोक संगीतज्ञ गोपी दास भी कौसानी के सौंदर्य से से अत्यधिक प्रभावित हुए थे।
इसी के निकट ही 10 किलोमीटर की दूरी पर पिनाकेश्वर वह 5 किलोमीटर की दूरी किलोमीटर की दूरी पर पिननाथ एवं भकोट स्थल बहुत सुंदर एवं प्रसिद्ध है।
बैजनाथ
यह स्थल भी भी पौराणिक समय से अत्यधिक प्रसिद्ध है बागेश्वर से 26 किलोमीटर पश्चिम तथा कौसानी से से 19 किलोमीटर उत्तर की ओर गोमती तट पर मंदिरों का एक बहुत बड़ा समूह है ।साथ ही यहां पर एक संग्रहालय भी है जो बैजनाथ के आकर्षण का केंद्र है बैजनाथ का जो मुख्य मंदिर है वहां पर आदमकद पार्वती की पत्थर की बनी मूर्तियां स्थापित हैं जो कांसे की बनी मूर्ति जैसी प्रतीत होती है।
बैजनाथ का पौराणिक समय से ही कत्यूरी चंद तथा गंगोली वंश के राजाओं ने समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार करवाया था। मंदिर परिसर में एक सुंदर चौपड़- चबूतरा है जो यहां पर कत्यूरी राजाओं की राजधानी होने का प्रमाण है इसके साथ यहां पर वर्ष भर बहुत से से बहुत से से पर्यटक एवं श्रद्धालु इस स्थल पर घूमने के लिए आते हैं।
पिंडारी ग्लेशियर
नंदाकोट शिखर के पश्चिमी ढाल पर लगभग 3 किलोमीटर लंबा वह 380 मीटर चौड़ा यह ग्लेशियर उत्तराखंड का सबसे खूबसूरत एवं आकर्षक ग्लेशियर है। प्राकृतिक सुंदरता से सजा संवरा यह ग्लेशियर जंगली जानवरों के लिए भी अत्यधिक प्रसिद्ध है है यहां पर उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल एवं राज्य पशु कस्तूरी मृग के साथ-साथ भोजपत्र के सुंदर वृक्ष देखने को मिलते हैं यहां का वातावरण भी प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत आकर्षक है।
कोट भ्रामरी व नंदा देवी मंदिर
बैजनाथ मंदिर समूह से लगभग 5 किलोमीटर दूर डंगोली नामक स्थान पर कोट भ्रामरी मंदिर स्थित है यह स्थल बहुत ही खूबसूरत एवं प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है यहां पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध राजाओं क कथूरियों की कुलदेवी भ्रामरी तथा प्रसिद्ध चंदवंशी द्वारा स्थापित नंदा देवी मंदिर स्थित है इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष बहुत से श्रद्धालु देश विदेश से घूमने के लिए आते हैं और दर्शन करते हैं।
पांडुस्थल
जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर की दूरी पर गढ़वाल मंडल व कुमाऊं मंडल की सीमा पर प्राकृतिक रूप से बहुत ही रमणीक स्थल है ।एक मान्यता के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव वनवास पूरा करके 1 वर्ष अज्ञातवास में गए तो इसी स्थल पर ठहरे थे थे आज भी यहां पर श्री कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे क्षेत्र का प्रसिद्ध मेला लगता है।
भद्रकाली
यह एक शक्तिपीठ है जो बागेश्वर से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कुमाऊं क्षेत्र में इस पीठ पीठ की गढ़वाल के कालीमठ के समान समान के समान के समान बहुत प्रतिष्ठा है। इस मंदिर परिसर मैं महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती की की मूर्तियां स्थापित है। जो इस मंदिर के आकर्षण का मुख्य केंद्र है भद्रकाली के आसपास का वातावरण अत्यंत मनमोहक एवं सुंदर है जो मन को बहुत ही आकर्षक लगता है।
FAQ
बागेश्वर कहाँ स्थित है ?
बागेश्वर उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह समुद्र तल से 3294 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ?
पिंडारी ग्लेशियर कहां स्थित है ?
पिंडारी ग्लेश्यर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित है। यह नंदाकोट शिखर के पश्चिमी ढाल पर लगभग 3 किलोमीटर लंबा वह 380 मीटर चौड़ा ग्लेशियर है, जो उत्तराखंड का सबसे खूबसूरत एवं आकर्षक ग्लेशियर है।
बागेश्वर धाम कौन से जिले में पड़ता है ?
बागेश्वर धाम बागेश्वर जिले में पड़ता है।