सरोवर नगरी नैनीताल में घूमने की जगहें | 2024
नैनीताल ट्रिप। नैनीताल का इतिहास। उत्तराखंड के पर्यटन स्थल 2023 । Nainital tourist places in Hindi
कुमाऊं मंडल के सबसे खूबसूरत जनपदों में से एक जनपद हैनैनीताल। यह सरोवर नगरी और झीलों की नगरी के रूप में विख्यात है। इस नगर के तीनों और ऊंची ऊंची पहाड़ियां है, जिनके नाम क्रमशः टिफिन टॉप, चाइना पिक, स्नोव्यू, हाडीगदी व शेर का डांडा है। समुद्र तल से यह नगर 1938 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसके कारण यहां सर्दी के मौसम में खूब बर्फबारी एवं ठंड पड़ती है, विश्व में नैनीताल एकमात्र ऐसा नगर नगर है जहां इतनी अधिक झीलें हैं।
नैनीताल नगर के बीच एक बहुत बड़ी झील है जिसका नाम नैनी झील है इस झील की लंबाई लंबाई 1500 मीटर एवं चौड़ाई 510 मीटर तथा गहराई 10 मीटर से 156 मीटर तक है ।झील के आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत है जो अत्यंत आकर्षक लगता है इस झील के आसपास 7 पहाड़ है जिसके कारण यह और भी आकर्षक एवं सुंदर लगती है इन पहाड़ियों को सप्तभृग के नाम से भी जाना जाता है ।यह 7 पर्वतों का एक समूह है जिनके नाम क्रमशः शेर का डांडा, आलम सरिया कांटा ,चाइना पीक हाडीगद्दी, देवपात ,एवं आयरपात है।
विषय सूची
नैनीताल के प्रमुख दर्शनीय स्थल
सरोवर नगरी नैनीताल में घूमने के कहीं स्थल है। इस आर्टिकल में हमने नैनीताल के पर्यटक स्थलों के बारे में विस्तार से बताया है।
नैना देवी मंदिर
मल्लीताल के पास मां नैना देवी का भव्य मंदिर है झील के समीप होने के कारण यह समीप होने के कारण यह के समीप होने के कारण यह समीप होने के कारण यह मंदिर और भी आकर्षक एवं खूबसूरत लगता है यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है और इसकी आसपास के क्षेत्र में काफी मान्यताएं भी है ,
इस मंदिर का निर्माण पौराणिक समय मैं श्री मोतीराम शाह जी ने ने कराया शाह जी ने ने कराया था लेकिन उत्तराखंड में प्राचीन काल में बड़े-बड़े भूकंप आते थे तो 1800 में यह मंदिर भी भूकंप के कारण भीषण भूस्खलन में नष्ट हो गया था ।दबी हुई मूर्ति को निकालकर वर्तमान स्थल पर नए सिरे से माँ नैना का भव्य मंदिर बनाया गया और सन 1882 में इस की पुनः स्थापना की गई।
नैनापीक
यह नैनीताल का सबसे ऊंचा शिखर है, जिसकी उंचाई 2611 मीटर है यह शिखर नैनीताल से 5.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।यह खूबसूरत स्थल स्थल है। यहां से हिमालय पर्वत की सुंदर छटा साफ साफ दिखाई देती है। यहां पर भी वर्ष भर बहुत से पर्यटक ट्रैकिंग बहुत से पर्यटक ट्रैकिंग करने के लिए आते हैं और सुंदर स्थल का आनंद लेते हैं।
स्नोव्यू
इस शिखर की ऊंचाई 2270 मीटर है यह स्थल बेहद खूबसूरत एवं आकर्षक है। इस स्थल पर आप पैदल या रज्जू मार्ग द्वारा भी पहुंच सकते हैं यह रज्जू मार्ग मार्ग नैनी झील के ऊपर वाले भाग मल्लीताल से बनाया गया है वर्ष भर स्नोव्यू में बहुत से पर्यटक जाते हैं यहां से नैनीताल का सुंदर नजारा दिखाई देता है।
नैनी झील
यह झील नैनीताल के के आकर्षण का केंद्र है सात पहाड़ियों से घिरी हुई ( नैन )आंख के आकार वाली है जो पूरे उत्तराखंड में प्रसिद्ध है एक मान्यता के अनुसार झील का नाम देवी नैना के नाम पर पड़ा है पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को कैलाश पर्वत ले जा जा रहे थे ,
तो इस स्थल पर देवी की आंख गिर गई गिर गई और झील का निर्माण का निर्माण हो गया दूसरी मान्यता के अनुसार के अनुसार आज भी इस दिल में पानी न कभी कम होता है न ज्यादा इसका जलस्तर एक सा रहता है रहता है एक सा रहता है रहता है सा रहता है रहता है ।झील के आसपास पूरा नैनीताल शहर बसा हुआ है इसके आसपास का वातावरण अत्यंत सुंदर एवं मनमोहक है इसके साथ आसपास घने जंगल है
नलताल
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह वास्तव एक एक वरदान है नैनीताल से इसकी दूरी मात्र 27 किलोमीटर है इस स्थल पर कमल के फूल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिसके कारण इस स्थल को कमल ताल भी कहते हैं इसके आसपास का नजारा बेहद खूबसूरत है और यहां पर खूब पर्यटक आते हैं ।
भुवाली
यह एक पहाड़ी बाजार है जिसमें हर प्रकार के मौसमी फल एवं फलों का जूस एवं ब बुरांश का जूस एवं ड्राई फ्रूट्स आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इसलिए भुवाली पहाड़ी फल बाजार के रूप में देश-विदेश में अपनी प्रसिद्धि बना चुका है। जो भी पर्यटक यहां पर घूमने के लिए आते हैं वह इस बाजार से जरूर कुछ ना कुछ कुछ खरीद कर ले जाते हैं। नैनीताल से इसकी दूरी मात्र 11 किलोमीटर के आसपास है यह बाजार बाजार अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है इसके आसपास अनेक प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं जिससे इस नगर की सुंदरता में चार चांद लगते हैं समुद्र तल से यह नगर मात्र 1106 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
भीमताल
प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह ताल पूरे पूरे भारत एवं उत्तराखंड में प्रसिद्ध है यह एक बहुत बड़ी झील है जिसका आकार नैनी झील से भी बड़ा है इस दिल में पर्यटक पर्यटक में पर्यटक बोटिंग का आनंद उठाते हैं ।झील के आसपास सुंदर वन एवं घास के बुग्याल है जिसके कारण यह झील और भी बेहद खूबसूरत लगती है।
नैनीताल से भीमताल की दूरी 22 किलोमीटर वह भुवाली से मात्र 11 किलोमीटर के आसपास है। झील के आकर्षण का केंद्र है झील के बीचो बीच एक छोटे से टापू पर रेस्टोरेंट का होना जिसमें अक्सर पर्यटक खाना खाते हैं । यहां पर पर्यटकों की यह पहली पसंद है।
कैंची धाम
धार्मिक आस्था का यह केंद्र नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर भुवाली से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यह धाम आस्था के साथ धीरे-धीरे पर्यटक आस्था के साथ धीरे-धीरे पर्यटक हब के रूप में भी विकसित हो रहा है ।इस धाम की स्थापना (नीम करोली महाराज )द्वारा की गई थी।
एक मान्यता के अनुसार जो भी भक्त कैंची धाम में सच्चे मन सच्चे मन धाम में सच्चे मन सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसे ईश्वर अवश्य पूरी करते हैं प्रत्येक वर्ष 15 जून को यहां पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है जिसमें आसपास क्षेत्र के लाखों श्रद्धालु प्रतिभाग करते हैं और पुण्य अर्जित करते हैं।
लैंड्स एण्ड
नैनीताल के खूबसूरत पर्यटक स्थलों में शुमार यह स्थल नैनीताल नैनीताल से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी की दूरी के आसपास स्थित है स्थित है ।यह एक ऐसा पिकनिक स्पॉट है जहां से आसपास के पर्यटक स्थलों का बड़ा ही मनोरम दृश्य दिखाई देता है यहां से खुरपा ताल का भी मनोरम दृश्य दिखाई देता है। इसके साथ-साथ नैनीताल की ऊंची नीची पर्वत श्रृंखलाओं का भी दर्शन किया जा सकता है पर्यटकों के लिए यह स्थल बेहद खास है।
कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान
पूरे भारत में बाघों के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान का नाम प्रारंभ में हेली उद्यान था इस उद्यान की स्थापना 1935 में हुई थी । हेली उद्यान का नाम कार्बेट उद्यान 1957 में हुआ जो प्रसिद्ध शिकारी (जिम कार्बेट) के नाम पर रखा गया है। इस उद्यान का क्षेत्रफल 520.82 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 312.76 वर्ग किलोमीटर पौड़ी गढ़वाल में व 208.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल नैनीताल में है।
यह उद्यान पर्यटकों के मामले में अन्य उद्यानों से काफी अच्छी प्रगति पर है इसका प्रवेश द्वार द्वार रामनगर के पास है ।जिसका नाम ढिकाला है। यह भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है यह पार्क कालागढ़ (पौढी़ गढ़वाल) और रामनगर वन की रेंज में आता है। पर्यटकों के लिए यह पार्क स्वर्ग है पार्क में घूमने के कुछ विशेष नियम है।
कालाढूंगी
प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल एक वरदान है इसके आसपास घने जंगल है। घने जंगल है, जिसमें कई प्रकार के जंगली जानवर रहते हैं। नैनीताल से इस स्थल की दूरी मात्र 50 किलोमीटर व कार्बेट नेशनल पार्क से मात्र 35 किलोमीटर है यहां पर प्रसिद्ध व्यक्ति जिम कार्बेट का मकान और संग्रहालय पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहता है गर्मी में यहां का मौसम सुहावना रहता है जिसके कारण यहां पर वर्ष भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।
घोड़ाखाल
यह स्थल नैनीताल से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पूरे नैनीताल में यह शहर बहुत ही खूबसूरत शहर बहुत ही खूबसूरत एवं आकर्षक है यहां पर एक सैनिक स्कूल भी है जो पूरे भारत में प्रसिद्ध है ।इस स्कूल में पूरे भारत भारत में पूरे भारत भारत के बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं इसके साथ यह नगर धार्मिक रूप से भी बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां पर गोलू देवता का प्रसिद्ध मंदिर है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार न्याय न मिलने पर निर्दोष व्यक्ति देवता के मंदिर में एक प्रार्थना पत्र जमा करता है उसके बाद गोलू देवता उसको न्याय दिलाते हैं जिसके कारण गोलू देवता पर बहुत से लोगों की श्रद्धा है स्थानीय लोग इस न्याय के देवता को डाना गवैल के नाम से भी पूजते हैं।
काठगोदाम
कुमाऊं मंडल का रेलवे की बड़ी लाइन का एकमात्र रेलवे रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। यह स्टेशन बहुत पुराना है जिसको अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया था 1884 में यह स्टेशन पूर्ण रूप से चालू हो गया था ।यह एकमात्र ऐसा स्टेशन है जहां पर वर्ष भर बहुत से पर्यटक कुमाऊं घूमने के लिए आते हैं।यह स्टेशन कुमाऊं के पर्यटन स्थलों को देश के अन्य भागों के साथ जोड़ता है।
काठगोदाम को कुमाऊं का प्रवेश द्वार द्वार भी कहा जाता है इसके साथ-साथ यह स्थल पहाड़ी क्षेत्र के लिए एक बाजार भी है जहां पर किसान अपने सभी प्रकार की फसलों की बिक्री करते हैं। काठगोदाम के आसपास सुंदर घने जंगल है जो काठगोदाम की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
हल्द्वानी
हल्दु के पेड़ों की अधिकता के कारण इस नगर का नाम हल्द्वानी पड़ा। सोलवीं सदी के आसपास इस क्षेत्र पर चंद राजा राजा चंद राजा पर चंद राजा राजा राजा रूपचंद का शासन था और उसी समय गोला नदी के तट पर बस्तियां बसनी शुरू हो गई थी हो गई थी शुरू हो गई थी हो गई थी ।जो आज हल्द्वानी नगर के रूप में में जाना जाता है आज यह नगर राज्य का सबसे बड़ा व्यापारीक केंद्र है।
काठगोदाम से इस नगर की दूरी मात्र 8 किलोमीटर दक्षिण में है काठगोदाम और हल्द्वानी में संयुक्त नगर निगम है जो जनसंख्या की दृष्टि से हरिद्वार देहरादून के बाद तीसरा सबसे बड़ा नगर निगम है यहां पर राज्य के अनेक प्रतिष्ठित संस्थान है इसके साथ यहां पर शिक्षा के क्षेत्र के भी बड़े-बड़े संस्थान है है संस्थान है बड़े-बड़े संस्थान है है संस्थान है है जिसमें देश के हजारों छात्र शिक्षा अर्जित करते हैं।
मुक्तेश्वर
फल पट्टी के रूप में प्रसिद्ध मुक्तेश्वर नैनीताल से 51 किलोमीटर दूर है यहां पर बांज बुरांश काफल इत्यादि वृक्षों की भरमार है, जिसके कारण यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर दिखता है मुक्तेश्वर की समुद्र तल से ऊंचाई 3000 मीटर है यहां पर एक मुक्तेश्वर मंदिर भी है 1890 में यहां पर भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान की स्थापना भी हुई है।
रामगढ़
मुक्तेश्वर से कुछ ही दूरी पर रामगढ़ स्थित है यहां से थोड़ी दूरी पर ही गागर नामक स्थल है रामनगर एवं गागर दोनों स्थल दोनों स्थल रसीले फलों के लिए प्रसिद्ध है यह स्थल प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है यहां पर हिंदी लेखन जगत के प्रसिद्ध व्यक्तित्व रविंद्र नाथ टैगोर व महादेवी वर्मा ने भी कई बार यात्रा की बार यात्रा की है महादेवी वर्मा की याद में यहां पर एक स्मृति स्थल /संग्रहालय भी बनाया गया है।
रामनगर
1850 मैं कमिश्नर रैमजे द्वारा रामनगर को बसाया गया था प्रारंभ में इस शहर शहर का नाम रैमजे नगर था उच्चारण के कारण कुछ वर्षों बाद इसका नाम रामजी नगर हुआ हुआ वर्तमान में यह रामनगर के नाम से प्रसिद्ध है यह नगर कोसी नदी नदी के तट पर स्थित है यहां पर भी एक रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन है जिसमें कार्बेट नेशनल पार्क घूमने वाले पर्यटक अक्सर सैर करते हैं यहां से कार्बेट का प्रवेश द्वार द्वार ढिकाला बहुत नजदीक है यहां पर उत्तराखंड विद्यालय शिक्षा परिषद का संस्थान भी है यह शहर अब धीरे-धीरे पर्यटन हब के रूप में प्रसिद्ध हो रहा है।
गर्जिया
रानीखेत मार्ग पर रामनगर से केवल 10 किलोमीटर दूर कोसी नदी के तट पर यह के तट पर यह स्थल स्थित है। यहां पर नदी के बीचो-बीच गर्जिया देवी का भव्य एवं विशाल मंदिर स्थित है। थोड़ी ही दूरी पर सीताबनी नामक स्थल है आज भी यहां महर्षि वाल्मीकि आश्रम के अवशेष मौजूद है गर्जिया के पास ढिकुली नामक स्थल पौराणिक समय से बहुत प्रसिद्ध स्थल है। यह कथूरियों की राजधानी भी रहा था यहां से बौद्ध कालीन मूर्तियां भी प्राप्त हुई है।
अन्य स्थानों से नैनीताल की दुरी
नैनीताल से रानीखेत की दूरी | 57 किमी |
देहरादून से नैनीताल की दूरी | 280 किमी |
ऋषिकेश से नैनीताल की दूरी | 250 किमी |
हरिद्वार से नैनीताल की दूरी | 237 किमी |
काठगोदाम से नैनीताल की दुरी | ३५ किमी |
नैनीताल कैसे पहुंचे
यदि आप भी उत्तराखंड के इस खूबसूरत जनपद नैनीताल में इस वर्ष घूमने का प्लान बना रहे हैं तो इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको पूरी जानकारी प्रदान करेंगे कि आप किन-किन माध्यमों से नैनीताल पहुंच सकते हैं जिसका संपूर्ण विवरण अधोलिखित है।
हवाई मार्ग द्वारा
यदि आप हवाई मार्ग से उत्तराखंड के इस खूबसूरत जनपद में आना चाहते हैं तो वर्तमान में राज्य का एकमात्र एयरपोर्ट जहां दैनिक रूप से फ्लाइटें है उड़ान भरती है वह है जोली ग्रांट एयरपोर्ट। जौलीग्रांट से आपको टैक्सी या बस के माध्यम से नैनीताल पहुंचना होगा जिसका सफर 6 से 7 घंटे का हो सकता है। भविष्य में सरकार द्वारा पंतनगर हवाई अड्डे को भी दैनिक रूप से संचालित करने की योजना है ।
रेल मार्ग द्वारा
यदि आप रेल मार्ग द्वारा नैनीताल घूमना आना चाहते हैं तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से यह जनपद सीधी रेल सेवा से जुड़ा हुआ है।। इस जनपद में काठगोदाम व रामनगर दो रेलवे स्टेशन है। दिल्ली और देश के अन्य स्टेशनों से यहां के लिए दैनिक रूप से रेलगाड़ियां चलती है इसके बाद आप काठगोदाम से टैक्सी एवं बस के माध्यम से नैनीताल पहुंच सकते हैं ।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग से यदि आपने नैनीताल पहुंचना चाहते हैं तो दिल्ली से नैनीताल की दूरी 325 किलोमीटर के आसपास हैं दिल्ली और देश के अन्य बस स्टेशनों से उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें (URTC) दैनिक रूप से संचालित होती है। जो आपको 6 से 7 घंटों में नैनीताल पहुंचा देती हैं इसके साथ नैनीताल के लिए बहुत सारी टूर एंड ट्रेवल्स एजेंसी देश के विभिन्न स्थलों से संचालित होती है।
FAQ
नैनीताल की खोज किसने की थी?
नैनीताल एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। इसकी खोज एक ब्रिटिश व्यापारी द्वारा 1841 ईस्वी में की गयी थी।
नैनीताल किस राज्य में है
नैनीताल उत्तराखंड राज्य में है। यह सुन्दर प्राकृतिक झील (ताल) के लिए प्रसिद्ध है। झील के चारो और नैनीताल शहर बसा है।